
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर बढ़ती हिंसा और धार्मिक भेदभाव के बीच एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। ISKCON ने बांग्लादेशी हिंदुओं को सलाह दी है कि वे अपने धार्मिक प्रतीक जैसे भगवा वस्त्र, तुलसी की माला और तिलक न पहनें। यह कदम उनकी सुरक्षा के लिए उठाया गया है, लेकिन यह बयान विवादों के केंद्र में है। यह सलाह इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास की तरफ से दी गई है। उन्होंने कहा, ‘मैं सभी भिक्षुओं और सदस्यों को सलाह दे रहा हूं कि संकट की इस घड़ी में, उन्हें अपनी सुरक्षा करने और संघर्ष से बचने के लिए बहुत सावधान रहना चाहिए। मैंने उन्हें सुझाव दिया है कि वे भगवा कपड़े और माथे पर सिन्दूर लगाने से बचें।’
चलिए आपको विस्तार से बताते हैं कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों का मुद्दा क्या है ?
बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और उनकी जमीन पर कब्जा करना आम बात हो गई है। हिंदू समुदाय को जबरन पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। कट्टरपंथी गुट हिंदू अल्पसंख्यकों निशाना बना रहे हैं, और प्रशासन की निष्क्रियता ने स्थिति को और खराब किया हुआ है।हम आपको बता दे यह मामला तब बढ़ा जब चटगांव में मंगलवार, 26 नवंबर के दिन हिंसा के दौरान एक वकील की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए. इस हिंसा की शुरुआत तब हुई जब बांग्लादेश (Bangladesh) की एक अदालत ने पुंडरीक धाम के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी (Chinmoy Krishna Das) की जमानत याचिका को खारिज (Bail Rejected) कर उन्हें राजद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया. “चिन्मय कृष्ण दास पर कई सारे आरोप हैं, जैसे: धार्मिक विवाद, धोखाधड़ी, या अन्य अपराध के गंभीर आरोप हैं। उनकी जमानत याचिका खारिज होने के बाद उनके समर्थकों ने इस हिंसा को अंजाम दिया।”
आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं चिन्मय प्रभु ?
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी बांग्लादेश सनातन जागरण मंच के प्रमुख नेता और इस्कॉन चटगांव के पुंडरीक धाम के अध्यक्ष हैं. उन्हें लोग चिन्मय प्रभु नाम से भी जानते हैं. वह बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ सशक्त आवाज उठाते रहे हैं. चिन्मय कृष्ण दास पर आरोप लगे कि उन्होंने चटगांव में एक रैली के दौरान बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया. इसके बाद उन्हें देशद्रोह के आरोप में सोमवार, 25 नवंबर को गिरफ्तार किया था. बांग्लादेश की अदालत ने उन्हें अगले दिन जेल भेज दिया. इसके बाद चिन्मय दास के समर्थक सड़कों पर उतर आए और उग्र विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. इस दौरान उन पर BNP और जमात के कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया. जिसमें एक वकील की मौत हो गई थी, जबकि करीब 50 प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे. इस बीच बांग्लादेश में इस्कॉन को बैन करने की मांग भी उठी. हालांकि, हाई कोर्ट ने इस्कॉन पर बैन लगाने से मना कर दिया था.
चिन्मय कृष्ण दास के वकील पर हमला ? क्या हैं पूरा मामला ?
बांग्लादेश के हिंदू संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास (Chinmoy Krishna Das) के वकील पर हमला हुआ है. चिन्मय कृष्ण के वकील रामेन रॉय (Ramen Roy) को चरमपंथियों ने निशाना बनाया है. जिसमें वो बुरी तरह से घायल हो गए हैं. फिलहाल वो ICU में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. इस बात की जानकारी ISKCON कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास की तरफ से दी गई है. राधारमण दास की तरफ से 3 दिसंबर को एक सोशल मीडिया पोस्ट किया गया. जिसमें वकील रामेन रॉय हॉस्टिपल की बेड पर नजर आ रहे हैं. उनके चेहरे और सिर पर पट्टी बंधी नजर आ रही है. दास ने कैप्शन में लिखा, “अधिवक्ता रामेन रॉय के लिए प्रार्थना करें. रॉय की एकमात्र गलती यह थी कि वो प्रभु (चिन्मय कृष्ण दास) का बचाव कर रहे थे. इस्लामवादियों के एक समूह ने उनके घर में तोड़फोड़ की. वो फिलहाल ICU में अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.” चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उसके बाद हुई हिंसा ने एक बार फिर बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की असुरक्षा को उजागर किया है। सवाल यह है कि क्या ये आरोप धार्मिक भेदभाव का हिस्सा हैं, या फिर वास्तव में कोई कानून का उल्लंघन हुआ है? इस मामले में न्याय की उम्मीद कितनी संभव है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।