
बिहार में लंबे समय से चल रहा BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग) अभ्यार्थियों का आंदोलन आखिरकार समाप्त हो गया। लेकिन, इस आंदोलन के दौरान जो दृश्य देखने को मिले, उन्होंने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। छात्रों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रशांत किशोर के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। “चोर-चोर” के नारे आंदोलन का केंद्र बिंदु बन गए, जिसने मामले को और अधिक तूल दे दिया।
आंदोलन का मुख्य कारण
यह आंदोलन BPSC परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं और बार-बार देरी को लेकर था। अभ्यार्थियों का कहना था कि भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की भारी कमी है। बार-बार परीक्षा में बदलाव, पेपर लीक की खबरें, और परिणामों में देरी ने छात्रों को सड़कों पर उतरने पर मजबूर कर दिया।
छात्रों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि राज्य सरकार उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रही है। यह आंदोलन सिर्फ एक परीक्षा प्रणाली तक सीमित नहीं था, बल्कि यह युवाओं के भविष्य को लेकर सरकार की उदासीनता पर सवाल खड़ा करता है।
प्रशांत किशोर पर क्यों फूटा गुस्सा?
आंदोलन के दौरान प्रशांत किशोर का नाम अचानक सुर्खियों में आया। छात्रों ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर, जो बिहार में राजनीतिक सुधार और युवाओं के मुद्दों पर सक्रियता दिखाने का दावा करते हैं, ने उनकी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया।
आंदोलन के दौरान, जब प्रशांत किशोर का नाम लिया गया, तो प्रदर्शनकारी छात्रों ने ‘चोर-चोर’ के नारे लगाए। उनका कहना था कि प्रशांत किशोर ने युवाओं के मुद्दों को केवल प्रचार का माध्यम बनाया है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
आंदोलन समाप्त, लेकिन असंतोष बरकरार
सरकार के कुछ आश्वासनों के बाद आंदोलन तो समाप्त हो गया, लेकिन छात्रों का असंतोष अभी भी बरकरार है। छात्रों ने साफ तौर पर कहा है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे एक बार फिर आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरेंगे।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था और युवा नीतियों की खामियों को उजागर करती है। छात्रों का आंदोलन सिर्फ उनकी परीक्षा प्रक्रिया का मुद्दा नहीं था, बल्कि यह पूरे सिस्टम के प्रति गहरी नाराजगी को दर्शाता है।
प्रशांत किशोर, जो अक्सर बिहार के राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से राय रखते हैं, इस बार छात्रों की नाराजगी का सामना कर रहे हैं। अब यह देखना होगा कि वे इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ते हैं या नहीं।
आगे की राह
BPSC अभ्यार्थियों का आंदोलन बिहार में शिक्षा और प्रशासनिक सुधारों की मांग के लिए एक बड़ा संदेश है। यह सरकार और प्रशासन के लिए चेतावनी है कि वे युवाओं की समस्याओं को हल्के में न लें।