
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पुरातात्विक खोजों का सिलसिला जारी है। हाल ही में, चंदौसी के लक्ष्मण गंज क्षेत्र में राजस्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में 150 साल पुरानी ‘रानी की बावड़ी’ मिली है। यह खोज स्थानीय और ऐतिहासिक महत्व की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
बावड़ी का विवरण
इस बावड़ी का क्षेत्रफल लगभग 400 वर्ग मीटर है और यह चार कमरों और एक सुरंग के साथ बनाई गई है। इसकी ऊपरी मंजिलें ईंटों से बनी हैं, जबकि दूसरी और तीसरी मंजिल संगमरमर की हैं। स्थानीय इतिहासकारों के अनुसार, यह बावड़ी बिलारी के राजा के शासनकाल में उनकी रानी के लिए बनाई गई थी।
इससे पहले मिला था मंदिर
इससे पहले संभल जिले में 46 वर्षों से बंद पड़ा भस्मेश्वर महादेव मंदिर पुनः खोजा गया था। इस मंदिर में भगवान शिव और हनुमान जी की प्राचीन मूर्तियां मिली थीं। इसके अलावा, खुदाई के दौरान एक प्राचीन कुआं और सुरंग भी उजागर हुए हैं, जो क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर को और समृद्ध बनाते हैं।
अधिकारी अब क्या खोज रहे हैं?
जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि बावड़ी के आसपास अतिक्रमण हटाने और संरचना को संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम से इस क्षेत्र का गहन अध्ययन कराने की योजना बनाई जा रही है।
अधिकारियों का कहना है कि बावड़ी और सुरंग के अध्ययन के जरिए क्षेत्र के इतिहास से जुड़े और भी रहस्य उजागर हो सकते हैं। यह भी संभावना है कि इस इलाके में और प्राचीन संरचनाएं या शिलालेख छिपे हो सकते हैं, जो तत्कालीन समाज और संस्कृति पर रोशनी डाल सकते हैं।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
यह खोज स्थानीय निवासियों के लिए गर्व और उत्सुकता का विषय बनी हुई है। लोग बड़ी संख्या में बावड़ी और मंदिर को देखने आ रहे हैं। सरकार से इन धरोहरों के संरक्षण और इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग भी की जा रही है।
प्रशासन का कदम
प्रशासन ने क्षेत्र को संरक्षित करने और इसे ऐतिहासिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रयास तेज कर दिए हैं। इन खोजों ने संभल को ऐतिहासिक धरोहरों के मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।